हिंदी कहानी चिड़िया का दाना
Hindi kahni for kids एक दिन प्रातः एक चिड़िया दाना चुगने निकली ।खेत में उसे मटर का एक दाना पड़ा मिला। वह उसे उठा लाई और बहुत खुश हुईृ ।उसने सोचा कि डटकर भोजन करेगी मगर फिर उसके मन में आया कि भोजन करने के पहले नहा लूं।वह नहाने के लिए नदी की ओर उड़ चली।
मगर समस्या यह थी कि मटर के दाने को कहां छुपाए, उसे जमीन पर ही छोड़ दे तो चीटियां खा जाएंगी। या कोई और पंछी ले उड़ेगा ,उसने मटर के दाने को पुल की मेड़ पर रख दिया और उसकी मरम्मत कर रहे एक बढई से कहा ,-“भाई जरा इसे देखते रहना।”hindi kahani for kids
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चिड़िया ने नदी से लौटकर बढई से पूछा तो वह बोला ,”मैं तुम्हारा नौकर थोड़े ही हूं। मुझे तो सरकार से वेतन मिलता है तुम्हारा मटर का दाना गिर गया होगा।”
चिड़िया बहुत निराश हुई उसे लगा कि दूसरे पंछी भी अपने घोंसलों से निकल चुके हैं और उन्होंने उस गाने को खा लिया होगा ।वह सोच ही रही थी कि एक सिपाही उधर से निकला वह उसके पास गई और बोली ,”सिपाही जी ,एक गरीब चिड़िया की मदद कीजिए।
मेरा मटर का दाना कहीं गुम हो गया है एक बढई पुल की मरम्मत कर रहा था ।मैंने उससे कहा कि दाने का ध्यान रखें लेकिन उसने या तो दाना चुरा लिया है अथवा वह कहीं गिर गया है।
सिपाही बोला ,”ऐ घमंडी चिड़िया तेरी यह मजाल कि मुझे जाते हुए रोके ! मेरा काम कानून और शांति बनाए रखना है ।उसी की मुझे तनख्वाह मिलती है ।तूम मरो या जियो मुझे इससे क्या ।”
चिड़िया को डांट पड़ी तो वह डर गई।
तभी उधर से एक थानेदार निकला ।उसने उसे रोका और सारी कहानी बता कर कहा थानेदार जी क्या आप मुझ गरीब की सहायता नहीं करेंगे ? Hindi kahani for kids
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थानेदार दहाड़ा,” तुम्हारी यह हिम्मत कि मुझे रोक रही हो ? जानती नहीं मंत्री जी दौरे पर आ रहे हैं, और मुझे सारा बंदोबस्त करना है, उन्होंने मेरे काम को पसंद न किया तो मेरी तरक्की कैसे होगी ?तुम्हारा मटर का दाना खो गया है तो मुझे क्या? यह कहकर थानेदार भी चला गया।
चिड़िया सोचने लगी यह कैसा देश है, जहां लोग इतने स्वार्थी हैं कि किसी और की समस्या के जरा भी चिंता नहीं करते ? वह यह सोच ही रही थी कि उसे घोड़े पर सवार मंत्री आता दिखाई दिया ।उसने उसे रोका और बोली,” मंत्री जी, क्या आप मुझ गरीब पर दया नहीं करेंगे ?मेरा मटर का दाना गुम हो गया है।
और इधर से जितने भी सरकारी कर्मचारी निकले वह मेरी सहायता करने से इंकार कर रहे हैं।”
मंत्री बोला ,”मैं तुम्हारी सहायता तो करना चाहता हूं, लेकिन मेरे पास समय नहीं है। राजा इधर आएंगे तो उनका स्वागत मुझे ही करना है ।”यह कर मंत्री भी वहां से खिसक लिया ।
चिड़िया को इस बात से खुशी हुई कि किसी ने भलमानसाहत से बात तो की ।वह सोच ही रही थी कि स्वयं राजा हाथी पर सवार होकर घर से निकला। चिड़िया ने उसे रोका और बोली,” राजा जी , आप इस देश के मालिक हैं ।क्या आप मेरी सहायता करेंगे?”
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राजा को यह बात अच्छी नहीं लगी कि कोई छोटी -सी चिड़िया ऐसी धृष्टता करें ।वह तो अपनी प्रजा को दर्शन देने जा रहा था और चिड़िया उसे हो रही थी ।उसने चिड़िया की किसी बात का उत्तर नहीं दिया राजा का अंगरक्षक चिल्लाया,” हट जाओ !”और राजा का हाथी चल दिया ।
अब चिड़िया को विश्वास हो गया कि कुछ नहीं हो सकता ।वह सोचने लगी कि राजा से बड़ा कौन है ।ऐसे क्रूर राजा के रहते मैं अपना मटर का दाना छोड़कर नहाने क्यों गई? ….. सोचती हुई वह निराश बैठी थी उसने देखा एक चींटी जा रही है ।उसने जाकर चींटी को सारी कहानी बताई।
चींटी बोली,” बहन, मैं अभी जाती हूं।” चींटी हाथी के पास गई और उसके कान में बोली,-” तुमने सुना ही होगा की चिड़िया ने राजा से क्या कहा। मैं चाहती हूं कि तुम राजा को चिड़िया की सहायता करने पर मजबूर करो, नहीं तो मैं तुम्हारे सूड में काट लूंगी।”
हाथी ने यह धमकी सुनी तो राजा से बोला,”आप चिड़िया की बात सुन लीजिए, नहीं तो वह मुझे काट लेगी ।उसने मुझे काट लिया तो मैं आप को गिरा दूंगा,तब हो सकता है आप की हड्डी-पसली टूट जाए या आप गिरकर मर जाएं।