“जब से एक मेहमान बने”
शेखचिल्ली की कहानी दोस्तों यह कहानी भी काफी मनोरंजक और रोमांचक से भरी हुई है,आप शेखचिल्ली की कहानी पढ़कर इसका आनंद उठाएं।
बेगम के मायके चले जाने के बाद शेख जी अकेले घर पर बोर होने लगे । एक दिन उन्होंने अपने दोस्त के यहां जाने का निर्णय किया।
वे अपने टट्टू पर चढ़कर दोस्त के घर के लिए रवाना हो गए।
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वहां पहुंचने पर दोस्त ने शेख चिल्ली का स्वागत करते हुये कहा-बहुत दिनों बाद याद आई मेरी शादी के बाद आज मिलने आये हो … वह भी अकेले।”
“वह पीहर गई हुई है।- शेख ने कहा ।
“ओह . तभी तो वरना तुम कहां आने वाले थे। दोस्त ने हंँसते हुए कहा – अब एक-दो दिन में जाने नहीं दूंगा।
दोस्त की बेगम भी मुस्कुरा रही थी।
शेख चिल्ली ने मन ही मन कहा सही बात तो ये है कि मैं यहां एक महीने ठहरुगा। लेकिन प्रकट में बोले भई …अभी तो मैं बिल्कुल फुर्सत में हूं।
जब तक जाने के लिए नहीं कहोगे. यहीं पड़ा रहूंगा।
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दोस्त और उसकी बेगम उनकी खूब खातिरदारी करते । वे उन दोनों के व्यवहार से बहुत खुश थे। जब उन्हें वहां रहते रहते एक सप्ताह हो गये।
तो एक दिन वे दोस्त की बेगम से बोले… भाभी जान।
आज शाम को खीर बनाना । तुम्हारे हाथ की खीर लाजवाब होती है।
“अरे. परसों ही तो खीर बनाई थी । तुम तो जानते हो कि दूध वैसे ही कम पड़ता है । दो बच्चे भी हैं।
“अरे भाभी जान। कुछ लोगों के हाथ में जादू होता है ।
तुम थोड़ा दूध डालोगी . तो भी खीर स्वादिष्ट बनेगा आज शाम को थोड़ा सा अवश्य बना लेना।
शेख चिल्ली( की कहानी )बोले
“देखूगी । अनमने से दोस्त की बीवी बोली । भाभी जान । तुम्हारा व्यवहार बहुत अच्छा है ।अब मैं यहां पूरा एक महीना रहूंगा ।
“एक महीना?”- दोस्त की बीवी चौकती हुई बोली “हां।”
” लेकिन तुम्हारे घर वाले क्या सोचेंगे? मां-बाप चिंतित होंगे।”
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” उसकी चिंता मत करो भाभी। घर पर पत्र लिख कर दिया है। वैसे भी वहां काम तो कुछ है नहीं। दिन भर घर में पड़े पड़े बोर हो जाता हूं। बेगम रहती थी । तो मन लगा रहता था। वह भी अपने मायके चली गई।”
तुम कोई नौकरी क्यों नहीं ढूंढ लेते देवर जी। कोशिश तो बहुत की पर नौकरी मिलती कहां है। काम करने वालों के लिए भी कमी नहीं है तुम तो केवल हवाई किले बनाते रहते हो ।
यकीन करो भाभी जान एक बार मजदूरी भी की थी परंतु उस शेठ ने तो मेरा शादी से पहले ही सारी जायदाद …पत्नी और बच्चे.. सब कुछ खत्म कर दिया था।
शादी से पहले पत्नी… बच्चे ..! अवश्य हवाई किला बनाए बनाया होगा तुमने।
“जो भी था- सब खत्म हो गया है।
तुम सचमुच जाहिल हो। बिना कमाई खाने की आदत पड़ गई है।
तुमको ऐसे निठल्ले टुकड़ेखोर कुत्ते बनकर रहोगे क्या होगा।
शेख चिल्ली इस बात पर भी शांत बैठे मुस्कुराते रहें।
उन्होंने तो पक्का निश्चय कर लिया था कि हर हालात से महीना यही काटना है।
थोड़ी देर बाद फिर भाभी बोली। मियां चिल्ली। तुम तो सचमुच बड़े बेशर्म हो। किसी की बातों का असर ही नहीं होता तुम पर।
मेरे शौहर भी पता नहीं कैसे निभाते हैं । तुमसे
इस बात इस पर शेख चिल्ली जोर से हंसकर बोली मैं बड़ों की बात का कभी बुरा नहीं मानता हूं । इरफान भाई मुझसे बड़े है। इसीलिए तुम भी मुझसे बड़ी हुई।
कुछ भी कहो ..मगर मैं यहां पूरा महीना व्यतीत करूंगा ही।
और वह सचमुच वहीं पड़े रहे। जब दस बारह दिन बीत गये तो इरफान और उनकी बेगम ने शेख चिल्ली की कहानी को भागाने के लिए एक योजना बनायी।
उस योजना के तहत दोनों बच्चो सहित वे तैयार होकर बोले- मियां शेख चिल्ली । एक आवश्यक कार्य से हम लोग कुछ दिनों के लिए लखनऊ जा रहे हैं तुम क्या करोगे।
मैं आपके घर की देखभाल करूंगा यहां भी तो कोई रहना ही चाहिए।
ऐसी कोई बात नहीं है वैसे भी रसोई का सारा सामान खत्म हो गया है मुश्किल से एक दिन का सामान होगा।
कोई बात नहीं । शेख चिल्ली (की कहानी) बोले एक दिन यहां रहने के बाद में कल ही अपने घर चला जाऊंगा। रात भर मै जरा सोचना चाहता हूं
ठीक है सोच लेना हम जा रहे हैं।- कहकर इरफान अपने परिवार के साथ चला गया।
उसके जाने के बाद चिल्ली रसोई घर में गये । वहां एक दो दिनों से ज्यादा का सामान नहीं था। क्योंकि इरफान की बेगम सब कुछ अलमारी में बंद कर गई थी। उन्होंने ताला तोड़ दिया और ढेर सारा सामान देखकर निश्चिंत हो गये।
अगले दिन शाम को इरफान अपनी पत्नी और बच्चों के साथ लौटा। तो शेख चिल्ली को देख कर चौक पड़ा। अलमारी का ताला टूटा पड़ा था यह देखकर इरफान की बेगम बोली तुमने मेरा लगाया हुआ ताला तोड़ने की हिम्मत कैसे की।
हिम्मत इसलिए की कि यह घर भी अपना है। मैंने इस घर को कभी गैर नहीं समझा।
शेख चिल्ली (की कहानी) ने मुस्कुरा कर उत्तर दिया ।
मियां बीवी चुप हो गये। लेकिन बहुत परेशान हो गए। क्योंकि घर की आय सीमित थी और खर्चे ज्यादा। उस पर एक आदमी बारह दिनों से घर में पड़ा था।
शेख चिल्ली (की कहानी) फिर आराम से रहने लगे।
वे टस- से – मस नहीं हुये । एक दिन फिर योजना बनाकर जमीन पर गिर गया और हाय हाय करते मूर्छित हो गया। वह मूर्छित होने का नाटक कर रहा था।
इरफान की बेगम ने रोते-रोते कहा – हाय अब मैं क्या करूं? घर में एक भी पैसा नहीं है। और उन्हें कुछ हो गया है। मियां।बोलो चिल्ली तुम कोई उपाय करो। सौ सवा सौ रूपया कहीं से लाकर इसके इलाज प्रबंध करो ।
मैं… कहां से लाऊं भाभी?”
कैसे दोस्त हो। इतने दिनों से यहां रोटी तोड़ रहे हो और वक्त पड़ने पर कह रहे हो कि मैं क्या करूं यह कह वह जोर जोर से रोने लगी।
शेख ने दिमाग पर जोर डाला। वह अभी कुछ सोच ही रहे थे कि इरफान की बेगम अपने पति की नब्ज देखते हुए। पुनः जोर से रोयी हाय यह तो मर गए अब क्या होगा।
शेख जी समझ गए कि मियां बीवी ने उसे घर से भगाने की चाल चली है ।
वहां से खींसकर और उनकी नजर से खुद को बचा कर घर में छुप गये।
शेख चिल्ली को गायब देखकर इरफान की बीवी ने संकेत कर दिया इरफान खड़ा हो गया ।
तब तक रोना सुनकर पड़ोस की औरतें भी जमा हो गई ।
उनकी बीवी पड़ोस वालों को संतुष्ट करने की गरज से बोली इनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। अब ठीक हो गये हैं. चिंता की कोई बात नहीं है।
पड़ोसी औरतों के जाने के बाद बेगम को सुबकते देख इरफान बोला अब क्यों रो रही हो मैं सचमुच थोड़ी ही मरा था ।
इस पर उसकी बीवी ने मुस्कुरा कर कहा मैं भी कोई सचमुच थोडी रोई थी ।
तभी शेख चिल्ली की कहानी) एक पलंग के नीचे से प्रकट हुए और बोले मैं भी सचमुच कहीं नहीं गया था।
दोनों के चेहरे फर्क पड़ गये और वह एक दूसरे का मुंह देखने लगे ।
शेख चिल्ली की कहानी) ने अपना पूरा महीना दोस्त के घर में ही व्यतीत किया।।।