।।फिर वही सरदार जी।।
शेखचिल्ली की कहानियां टैक्सी लेकर जो भी व्यक्ति आया , उसे देख शेख मियां को आग लग गयी। वे गर्राते हुए बोले -तुम?” सरदार भी शेख को देखकर बिदका।उसनें कहा मैं तो ऐसी सवारी कभी न बैठाऊ । कोई दूसरी टैक्सी ढूंढ लो जी ।
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शेख ने मुस्कुरा कर कहा -घबराते क्यों हो दोस्त? इस बार का किराया मैं नही होटल का मैनेजर दे रहा है । महीने भर की बुकिंग है सोच लो। ठीक है जी।” सरदार ने नम्र स्वर में कहा -जब तुम दोस्त कह रहे हो, तो हमारे दिल में भी कोई मैल नहीं है । कित्थे चलू जी?
वसंत स्टूडियो चलो सरदार जी!जब से दिल्ली में मिस बुलबुल की फिल्म देखी है, उससे मिलने के लिए दिल तड़प रहा है। शेख जी टैक्सी में बैठ गए ।
“स्टूडियो तो मैं तुम्हें पहुंचा दूंगा शेख मगर मिस बुलबुल को मिला ना मिलना इतना आसान नहीं है । वे तो हमें घुसने भी न दे। मैं तो खुद मिस बुलबुल पर लुटा पड़ा हूं ।जी। जाने कितने चक्कर उसके बंगले के लगा चुका हूं। मगर एक झलक तक ना मिली।
तुम चलो सरदार जी!- शेख ने इत्मीनान से कहा- ऐसे कैसे नहीं मिलने देंगे जी।
मगर वहां पहुंचकर शेख की एक ना चली । दरबान ने शेख के हर तर्क को खारिज कर दिया।
शेख कुछ क्षण तक सोचते रहे, फिर बोले- मियां! तुम तो अजीब घोंचू लगते हो? मिस बुलबुल की कोठी में आग लगी हुई है और — “क्या ?-दरबान उछल पड़ा- कैसी लगी? कब लगी? अभी लगी है मैंने लगाई !-शेख ने अकड़ कर कहा- अब आप मेहरबानी करके मिस बुलबुल..।
हां हां – दरबान अंदर भागा । शेख साहब सरदार के साथ अंदर घुस गये। अंदर उन्हें मालूम हो गया कि मिस बुलबुल किस तरफ सूटिंग में है । वे उधर ही बढे और उधर से बेतहाशा तेज रफ्तार से आती मिस बुलबुल शेख साहब से टकरा गई।
“अरे मोहतरमा !- शेख ने खुशी से चिल्लाते हुए कहा-(शेखचिल्ली की रोमांटिक कॉमेडी कहानी)
मैं दिल्ली से मुंबई आपसे मिलने आया हूं ।
मैं शेखचिल्ली हूं…।” यू ब्लडी मेन। तुम कौन है? कौन शेखचिल्ली की कहानी लंदन की? हटो एक तरफ मेरे घर में आग लगी है ।और तुम…। आग तो मैं बुझा ही दूंगा मैडम!” क्या? क्या कहा? बुलबुल ने चिहूंक कर कहा- “थैंक्स गॉड! कैसे बुझायी? “जैसे लगायी थी ।वैसे बुझा दी। यह कौन- सा मुश्किल काम है, मैडम। मैं आपसे मिलने …
“ओह,यस। हम तुमसे जरूर मिलेगा ।तुम बहादुर आदमी है। रीयल हीरो की तरह हमारे घर में आग बुझाया! थैंकयू ! थैंकयू !सो मच ।”मिस बुलबुल ने शेख का हाथ थामकर जल्दी जल्दी पूछा -आग कहां लगी हुई थी”
” आग मेरे दिल में लगी है , मोहतरमा! मैंने आपसे मिलने के लिए यह शिगूफा छोड़ा था।”
“क.. क्या मिस बुलबुल का चेहरा गुस्से से लाल हो उठा, फिर वह हंस पड़ी – बहुत इंटेलीजेंट मैन हो तुम ? तुम सचमुच हमारा कद्र करता है।” अजी भाड़ में झोकिये कद्र को ?आपने तो हद कर दी मोहतरमा ! आपको चूल्हा फूंकनाट नहीं आता, तो फिर चूल्हा फूंकती ही क्यों है।? फिल्मघर में आप चूल्हा फूंक रही हैं ? वाह क्या नजाकत है? ऐसे फूंक मार रही थी।
जैसे पेशानी पर बिखरे बाल उड़ा रही हो – शेख ने बिगड़ कर कहा -आपकी फिल्में देख –देखकर मैं पागल हो गया हूं । न साड़ी पहननी आती है। न बुर्का। क्या आपके वालिदान ने आपको शर्महया भी नहीं सिखलायी ? या अल्लाह! बेशर्मी की भी हद होती ।”
मिस बुलबुल का मुंह आश्चर्य से खुला, फिर उसका चेहरा गुस्से से तमतमा उठा । उसने चीखते हुए कहा- इस गधे(शेखचिल्ली की कहानी) को किसने अंदर आने दिया ? इसने मेरी इंसल्ट की है । मैं इसे जिंदा ना छोडूंगी।
इसके साथ ही वह शेख साहब पर लपकी।
(शेखचिल्ली की कहानी) साहब ने उसका रौद्र रूप देखा,तो बिल्ली की तरह पीछे मुड़ कर भागे। सरदार जी ने उन्हें भागते देखा,तो वह भी पीछे भाग लिये।
शेख ने सामने से स्टूडियो के गार्डों को आते देखा तो अंदर की ओर पलायन कर गए।अपनी झोक में दौड़ते हुए सीधे कैमरामैन पर जाकर गिरे। वहां दूसरी फिल्म की शूटिंग चल रही थी।
कट!.. कट !!..डायरेक्टर चिल्लाया।
“या खुदा काट ही डालेंगे ? शेख के होश उड़ गये। उन्होंने एक डंडा उठाया और पिल पड़े । किसी की टांग टूटी किसी का सिर । वे तो डंडा लिए भागते स्टूडियो से बाहर निकले और डंडा फेंक कर सर पर पांव रखकर भाग लिये। पकड़े गए बेचारे सरदार जी।
अच्छी तरह पिटाई करके जब उन्हें पुलिस के हवाले किया गया, तो वे बुरी तरह कराह रहे थे। सब इंस्पेक्टर उसे देखते ही चौका । उसने कहा क्या मुसीबत है ? आज ही ट्रांसफर होकर एक थाने में आया हूं और फिर तुम…?
हां, जी । सरदार ने रो देने वाले अंदाज में कहा ” “फिर मैं। मैनूं की करूं जी। हमारी तकदीर ही खोटी है । जी । खोटी ना होती तो मैं फिर उस सवारी को बैठा था।
मामला क्या है ? सब- इंस्पेक्टर ने पूछा।
सरदार जी ने पूरी कहानी बताते हुए कहा- मैंनूं तो समझा कि वह मिस बुलबुल का फैन है जी। मैनूं की जाने कि वह पागल(शेखचिल्ली की हिंदी कहानी) है ?”
बड़ी मुश्किल से स्टूडियोवालों ने सरदार जी को निर्दोष माना।
सब इंस्पेक्टर ने चेतावनी देते हुए कहा -अब कोई लफड़ा नहीं होना चाहिए। सोच- समझ कर सवारी बैठाओ।
मैं टैक्सी ही चलाना छोड़ दूंगा जी ।जब तक वह पागल(शेखचिल्ली की हिंदी कहानी) शहर में है। तब तक मैं यह जोखिम नहीं ले सकता ।
वैसे दरोगा जी। तुसी भी सावधान रहना जी। वह बड़ी ऊंची चीज है जी ।
शट अप तुम जाओ।- सब इंस्पेक्टर ने कड़ी दृष्टि से उसकी ओर देखा ।
“जाता हूं जी।मैंने तो आपको सलाह दी थी जी! मानो या ना मानो। मैं क्या कर सकता हूं। तकदीर मे जो लिखा होता है । उसे कोई नहीं रोक सकता।
शेखचिल्ली की हिंदी कहानी सरदार जी कराहते हुए बाहर निकल गए।।